CONSIDERATIONS TO KNOW ABOUT SIDH KUNJIKA

Considerations To Know About sidh kunjika

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दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

यस्तु कुञ्जिकया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत् ।

दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि

मारणं मोहनं वश्यं स्तंभनोच्चाटनादिकम् ।

No. Pratyahara suggests to bring the senses inside. Which is, closing off exterior notion. Stambhana fixes the notion within by Keeping the believed even now as well as the feeling.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः

अगर किसी विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र कर रहे हैं तो हाथ more info में जल, फूल और अक्षत लेकर जितने पाठ एक दिन में कर सकते हैं उसका संकल्प लें.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षम् ।

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